“एक्यूप्रेशर" दो शब्दों के योग से बना है - एक्यू+प्रेशर । 'एक्यू' का शाब्दिक अर्थ है 'सुई' तथा 'प्रेशर' का तात्पर्य है 'दबाव' । सुई की नोक के समान सूक्ष्म बिन्दु पर, दबाव के द्वारा उपचार देना ही 'एक्यूप्रेशर' है।
इन सूक्ष्म बिन्दुओं पर दबाव देने के कई माध्यम हो सकते हैं जैसे कि बीज, सुई, नुकीली वस्तु, मैगनेट इत्यादि। उपचार देने के इन माध्यमों के आधार पर ही इसको कई नामों से जाना जाता है। जब हम उपचार के बिन्दु पर किसी नुकीली वस्तु से दबाव देते हैं तो इसे 'एक्यूप्रेशर' की संज्ञा दी जाएगी। इसी आधार पर इस विधा के साथ कई संज्ञाएं जुड़ जाती हैं। वस्तुतः एक्यूप्रेशर / एक्यूपंक्चर, मैगनेट-चिकित्सा, बीज चिकित्सा, रंग चिकित्सा इत्यादि भिन्न-भिन्न नाम उपचार देने के भिन्न-भिन्न तरीके हैं, जिनके मूल में एक ही अवधारणा विद्यमान है। पूरे शरीर में विद्यमान विशिष्ट बिन्दुओं पर अथवा उनके सादृश्य (Correspondence) पर दबाव देकर अथवा बीजों का प्रयोग करके अथवा सुई लगाकर अथवा रंग लगाकर अथवा छोटे-छोटे मैगनेट लगाकर बिन्दुओं से सम्बन्धित शरीर के भाग अथवा अवयव (Organ) में विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (Electro magnetic field) विकसित किया जाता है, जिसे शास्त्रों में चेतना (Bio-Energy) की संज्ञा दी गई है। यह चेतना ही जीवन का आधार है। हमारा शरीर रोगी रहे या निरोगी, यह चेतना पर ही निर्भर करता हैं। इस चेतना का संतुलन ही एक्यूप्रेशर चिकित्सा का मूल उद्देश्य है।
Please do not enter any spam link in the comment box.